न जाने क्यों ? माता -पिता की कही बाते बच्चो को पसंद नहीं आती। और माँ -बाप को जाने -अनजाने बहुत दुःख देते है। बच्चे ऐसा क्यों ? करते है। क्यों ? बड़े होने पर वो अपने कर्तव्यों को भूल जाते है। क्यों ? उन्हें दुःख देते है। क्यों ? भूल जाते है की आज वो जो कुछ है ,सब अपने माता पिता के कारण है। माता- पिता न होते तो क्या वो इस दुनिया में आते ,यदि माँ बाप उनका हाथ पकड़ कर चलना न सिखाते तो क्या वो चलना सीख जाते , क्यों ? उनके प्यार ,दुलार को भूल जाते है, क्यों ? वो उनकी खोई हुई नींदो को भूल जाते है ,जो बिमारी के वक़्त रात रात भर जाग कर बीताई थी।
हर हर महादेव प्रिये पाठको !
भोलेनाथ की असीम कृपा आपको प्राप्त हो।
क्यों हैं ऐसे आज के बच्चे/माँ-बाप के साथ बुरा व्यवहार क्यों।
इस पोस्ट मे आप पायेंगे-
माँ-बाप की अनमोल दौलत
माँ-बाप की पहली खुशी
माँ-बाप के बलिदान
माँ-बाप के साथ बुरा व्यवहार क्यों?
माँ-बाप को बच्चों की जरूरत
बच्चों से प्रशन
बच्चों से अनुरोध
प्रिय पाठकों!माँ-बाप की अनमोल दौलत उनके बच्चे।जी हाँ दोस्तों ,बच्चे ही माता पिता के लिए उनकी असली दौलत होते है।दोस्तों!आज जिस बात की हम चर्चा कर रहे है ,वो है आज की पीढ़ी, यानी आज के बच्चे। मित्रो इस बात को तो हम सभी बहुत अच्छी तरह जानते है की ,माता पिता के लिए प्रभु की दी हुई सबसे सुन्दर व अनमोल वस्तु यदि कोई है तो वो है उनके बच्चे। जिनके सुख के लिए वो कुछ भी कर गुजर जाते है। बच्चो को ही वो अपने जीवन की धन दौलत मानते है।
माँ-बाप की पहली खुशी
ये सौभाग्य सभी को प्राप्त हो ऐसा संभव नहीं है अथार्त कुछ दम्पतियो के ऊपर प्रभु की ये कृपा स्वतः (खुद) हो जाती है। पर कुछ को इस सुख को पाने के लिए बहुत कष्ट उठाने पड़ते है.उन्हें दर -दर ,मंदिर -मंदिर भटकना पड़ता है। जो जहाँ भेज दे ,जैसा कह दे वैसा कर देते है।बहुत विनतियो और प्रार्थनाओ के बाद जाकर उन्हें ये सुख प्राप्त होता है और उस वक़्त वो ख़ुशी के मारे फूले नहीं समाते।
दोस्तों वास्तव में देखा जाए तो उस दिन से उनकी जिंदगी उनकी नहीं रह जाती। बल्कि उनके बच्चे के अधीन हो जाती है। वो उस पल से ही उसके खाने ,पीने ,कपडे ,खिलौने ,पढ़ाई -लिखाई और भविष्य के बारे में सोचने लगते है। और क्यों न सोचे ,आखिर इतनी परेशानियों के बाद उनको ये दौलत मिली होती है। घर में बच्चे के आने से परिवार के हर सदस्य के मुख पर एक अलग तरह की खुशी की लहर होती है।सभी लोग बहुत खुश होते है। जैसे अब जीवन पूरा हो गया। अब किसी और चीज़ की अभिलाषा नहीं। सारी इच्छाएं ख़त्म।
माँ-बाप के बलिदान
दोस्तों माता -पिता तो अपने बारे में सोचना ही छोड़ देते है। बच्चे के चक्कर में अपना खाना पीना। हंसना -बोलना ,पहनना ओढ़ना सब भूल जाते है। समय पर कुछ भी नहीं करते (समय से खाना -पीना ,सोना आदि )किसी भी चीज़ का ध्यान नहीं रहता। जिंदगी सिमित सी रह जाती है। पति के पास पत्नी के लिए वक़्त नहीं और पत्नी के पास पति के लिए। और ये सब किस के लिए-- सिर्फ बच्चो के लिए।क्योकि बच्चो से बढ़कर उनके लिए और कुछ नही होता।
दोस्तों,- क्या आप जानते हो वो ऐसा क्यों करते है ,क्योकि वो अपने बच्चो से बहुत प्यार करते है। वो उन्हें कभी दुखी नहीं देख सकते। बीमार पड़ जाए तो रात -रात भर जागते है उनकी सेवा करते है,उसकी ज़िद के आगे- उसे किसी के सामने भीख न मांगनी पड़े , उसकी ज़िद पूरी कर देते है। फिर बच्चे ने चाहे अच्छी चीज़ की मांग की हो या बुरी चीज़ की। उनके मन को ऐसा करने में ख़ुशी मिली हो या दुःख बच्चा इस बात को बिलकुल नहीं समझता। कुछ माता पिता ऐसा अपनी ख़ुशी से करते है और कुछ की मज़बूरी होती है। वो तो बस बच्चो को खुश देख कर खुश हो जाते है। क्योकि वो अपने बच्चो को खुश देखना चाहते है।
माँ-बाप के साथ बुरा व्यवहार
क्यों?
सभी माता पिता बच्चो के प्रति अपने हर कर्तव्यों को पूरा करते है। कभी पीछे नहीं हटते। कभी अपने बच्चो को दुःख नहीं देते। फिर भी न जाने क्यों ? माता -पिता की कही बाते बच्चो को पसंद नहीं आती। और माँ -बाप को जाने -अनजाने बहुत दुःख देते है। बच्चे ऐसा क्यों ? करते है। क्यों ? बड़े होने पर वो अपने कर्तव्यों को भूल जाते है। क्यों ? उन्हें दुःख देते है। क्यों ? भूल जाते है की आज वो जो कुछ है ,सब अपने माता पिता के कारण है। माता- पिता न होते तो क्या वो इस दुनिया में आते ,यदि माँ बाप उनका हाथ पकड़ कर चलना न सिखाते तो क्या वो चलना सीख जाते , क्यों ? उनके प्यार ,दुलार को भूल जाते है, क्यों ? वो उनकी खोई हुई नींदो को भूल जाते है ,जो बिमारी के वक़्त रात रात भर जाग कर बीताई थी।
क्यों ? बड़े होने पर वही माँ -बाप जब उनके दोस्तों के सामने आ जाये तो उन्हें बुरा लगता है ,अपने दोस्तों से परिचय कराने में क्यों उनको शर्म आती है। माँ -बाप तो कभी ऐसा नहीं करते -उन्हें तो ये कहने में कभी शर्म नहीं आई की आप उनकी औलाद हो ,उनके प्यारे बच्चे हो।बल्कि उन्होंने तो आपके इस धरती पर आने की खुशियाँ मनाई ,पार्टी दी, जरूरत मंदो को कपडे दिए। उन्होंने तो दुनिया वालो को बड़े शान से कहा की ये हमारा बेटा है।फिर आप बच्चों को क्यों शर्म आती है।
बड़े होने पर उनकी पढ़ाई के लिए। जॉब्स (नौकरी )के लिए,अन्य पढ़ाई से सम्बंधित कोर्सो को पूरा करने के लिए, जब उन्हें विदेश जाना हो, तो उस वक़्त की जरूरत को पूरा करने के लिए ,जो हजारो ,लाखो के रुपयों की ज़रूरत होती है ,उसे माँ -बाप कैसे पूरा करते है ,क्या, कभी सोचा है आप बच्चो ने- कि वो इतना पैसा कहाँ से लाये होंगे।कई माँ -बाप होते है जिन्हे ऐसा करने में दिक्कत नहीं होती ,पर कईयों को तो अपने घर ,गहने आदि बेचने पड़ जाते है।
पर बच्चे माँ -बाप के किये इस बलिदान को भी बड़ी आसानी से भूल जाते है। हम ये नहीं कहते की सारे बच्चे ऐसे होते है ,लेकिन हाँ-आज के इस दौर में अधिकतर बच्चे ऐसे ही होते है। अधिकतर बच्चे माँ -बाप के साथ बुरा व्यवहार करते है। उनकी कद्र नहीं करते। हद तो तब पार होती है जब वो बुढ़ापे में उनको घर से निकाल देते है। चाहे कारण कोई भी हो निकालने का ,बस निकाल देते है। ज़रा भी नहीं सोचते ,दिल में ज़रा भी दर्द नहीं आता , कि घर से निकलने के बाद वो कहाँ जाएंगे ,क्या करेंगे ,क्या खाएंगे।
माँ-बाप को बच्चों की जरूरत
कुछ भी नहीं सोचते ,जब कि वास्तव में उस वक़्त ही उन्हें बच्चो की खास जरूरत होती है।क्यों की वो उम्र ही ऐसी होती है कि वो अपने लिए कुछ कर पायें। चलने -फिरने ,उठने-बैठने,खाने -पीने हर काम को करने में उन्हें परेशानी होती है। आप बच्चो ने ऐसे समय में उनको छोड़ा होता है -कि जिस वक़्त वो खुद को बिलकुल लाचार और बेबस समझते है। किसी से कुछ कह नहीं सकते ,किसी से कुछ मॉँग नहीं सकते।शर्म के मारे - बेइज्जती के डर से चुप पड़े रहते है या फिर चले जाते है या फिर बच्चो द्वारा निकाल दिए जाते है।
बच्चों से प्रशन
हमारा ऐसे बच्चो से ये एक प्रश्न है कि ---क्या आपको नहीं लगता की माता -पिता की ये अवस्था (बुढ़ापे की ) बिलकुल आपके बचपन की अवस्था जैसी होती है- क्योकि जैसे माता -पिता बूढ़े होने के कारण कुछ नहीं कर सकते। और आप छोटे होने के कारण कुछ नहीं कर सकते। यदि माँ -बाप भी आप ही की तरह उस समय कठोर हो जाते- तो क्या आज आप जिस जगह है , वहां पर होते। और अगर होते भी- तो क्या आपका कोई वज़ूद होता। बिलकुल नहीं होता क्योकि, माँ -बाप से ही आपका नाम है। आप इस बात को कभी मत भूलो की- आप माँ -बाप से हो , माँ-बाप आपसे नहीं।
माँ -बाप है ,तो आपके जीवन में रौशनी और खुशियों की लहर है। अगर ये लोग न हो तो जीवन में सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है। माँ -बाप भगवान् का स्वरुप है। ये बात तो सभी जानते है की भगवान् सबके घर नहीं जा सकते (हर वक़्त मौज़ूद नहीं हो सकते ) इसलिए उन्होंने माँ -बाप को बनाया ,जिसके जरिए वो धरती की अपनी सारी सन्तानो के साथ रहते है ,मिलते है ,खेलते है और समय -समय पर मुसीबतो से बचाते है। माता -पिता सबके लिए पूजनीय है। उन्हें दुःख पहुँचाना मतलब भगवान् को दुःख पहुँचाना।
बच्चों से अनुरोध
इसलिए कभी माता -पिता का अनादर मत करो। कभी उन्हें दुःख मत दो,और यदि देते हो तो इस बात को हमेशा याद रखे की, जो जिसके साथ जैसा करता है ,उसके साथ वैसा ही होता है। जीवन मे यदि आपके कारण किसी का दिल दुखे या और भी कोई तकलीफ हुई ,तो भविष्य में वो दुःख तकलीफ आपको भी भुगतनी पड़ेगी। इसलिए ऐसे बच्चो से अनुरोध है कि समय रहते संभल जाइये। माँ -बाप सा दयावान धरती पर कोई नहीं ,इसलिए यदि किसी व्यक्ति से ऐसी कोई गलती हो गई हो तो उनसे क्षमा मांगे। और हमेशा याद रखे कि -----
धरती पर ऐसा स्वर्ग है। जो दिखे नहीं पर संग रहे।।पल पल छिन -छिन, दिन रातो में। रहते हरदम वो संग रहे।धरती पर ऐसा स्वर्ग है। जो दिखे नहीं पर संग रहे।।वृध्द ,वृध्द वो वृध्द है शब्द , जिनके चरणों में स्वर्ग रहें।कर सेवा और सत्कार से उनकी , जीवन ये हमारा धन्य रहे।।गर सत्य है ये कथन अगर , फिर क्यों लोग ये उनसे दूर रहे।उनकी सेवा सत्कार को , क्यों समझे एक बोझ है वो।उनका चलना ,उनका कम्पन , उनकी लाठी उनका चश्मा।है जीवन चक्र ये दुनिया का ,जो भोगना है सभी को यहां। .उनके प्यार दुलार को तुम ,मत समझो कि व्यर्थ है ये।ये वो छाया है वृक्ष की , जो न रहे तो जीवन व्यर्थ है।धरती पर ऐसा स्वर्ग है एक , जो दिखे नहीं पर संग रहे। .पल पल छिन -छिन, दिन रातो में। रहते हरदम वो संग रहे।धरती पर ऐसा स्वर्ग है। जो दिखे नहीं पर संग रहे।।हम क्यों उनके अहसानो को , इतनी जल्दी बिसराते है।जो बचपन ,किशोर ,जवानी में , रहते संग हमारे है। .चलना सिखाया हाथ पकड़ कर ,जिन्होंने बचपन में हमे।फिर क्यों बिना हिचके एक पल हम ,छोड़ देते है साथ बुढ़ापे में।हर परेशानी में भूखे प्यासे ,रहते साथ हमारे है।बोलो हम उनकी परेशानी में ,कितना साथ निभाते है।फिर भी देखो उन वृध्द हृदयो में,कितना प्यार अपार है।दूर हो अपने आशिया से,फिर भी देते आशिर्वाद है।धरती पर ऐसा स्वर्ग है एक , जो दिखे नहीं पर संग रहे। .पल पल छिन -छिन, दिन रातो में। रहते हरदम वो संग रहे।धरती पर ऐसा स्वर्ग है। जो दिखे नहीं पर संग रहे।।एक मुख़ार लोकन से हमारे जो हो जाते प्रसन्न है।और हम उनके वृद्ध मुखों से हो जाते कितने विकल है।मत भूलो उनके इस पल को ,कल भी हमें भोगना है।उनकी तरह ये वृद्ध जीवन ,कल भी हमें भोगना है।पहचानो उस मूरत को ,उनके प्यार ,दुलार को।उनकी रातें उनकी नींदे ,और उनकी भूख ,प्यास को।एक नहीं हर एक वृद्ध में देखो अपने आप कोगर मिले राह में कोई वृद्ध तो ,न फेरों अपने मुख कोदो साथ उनका याद करके ,अपनी वृद्ध अवस्था कोकरो ये कामना हमेशा ,मिलता रहे उनका प्यार दुलारक्योकि------धरती पर है वो स्वर्ग यही ,जो दिखे नहीं पर संग रहे।पल -पल ,छिन -छिन ,दिन रातों में ,रहते हर पल वो संग यहीं
प्रिय पाठकों,आशा करते हैं कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी।आप अपने विचार और सुझाव हमसे निसंकोच कह सकते है। इसी के साथ हम अपनी वाणी को विराम देते है और प्रार्थना करते हैं कि भगवान शिव आप सभी लोगों का कल्याण करें। आप सभी के मनोरथों को सिद्ध करें।विश्वज्ञान मे अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाकात होगी।तब तक के लिए हर-हर महादेव ।
धन्यवाद।