जय श्री राधे श्याम
हर हर महादेव प्रिय पाठकों ! कैसे है आप लोग, आशा करते है आप सभी सकुशल होंगे। भगवान् शिव का आशीर्वाद हमेशा आपको प्राप्त हो।
इस पोस्ट में आप पाएंगे -In this post you will find -
रामायण क्या है?
कविता (राम की यात्रा) का सन्क्षिप्त वर्णन
हनुमान जी कौन थे?
क्या राम जी मांसाहारी थे?
राम जी के चारित्र से हमे क्या शिक्षा मिलती है?
क्या कैकई ने राम को वनवास भरत को राजा बनाने के लिए दिया ?
राम जी ने केवट को सेवा करने का अवसर क्यों दिया ?
रामायण क्या है?
रामायण, भारत की दो महान महाकाव्य में से एक है, दूसरी महाभारत ("भारत राजवंश का महान महाकाव्य") है।
कविता (राम की यात्रा) का सन्क्षिप्त वर्णन हिन्दी मे
कविता में अयोध्या (अवध) के राज्य में भगवान राम के शाही जन्म, ऋषि विश्वामित्र के अधीन उनके संरक्षण, और राजा जनक की बेटी सीताजी के स्वयंवर में शिव के शक्तिशाली धनुष को तोड़ने में उनकी सफलता का वर्णन है।
एक महल की साज़िश के माध्यम से राम को राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में उनके पद से हटा दिए जाने के बाद, वह अपनी पत्नी और अपने भाई, लक्ष्मण के साथ वन में 14 साल का वनवास बिताने के लिए वन में चले जाते हैं।
वहाँ लंका का राक्षस-राजा रावण, सीता को अपनी राजधानी ले जाता है, जबकि उसके दो रक्षक उन्हें(प्रभु श्री राम जी )को गुमराह करने के लिए जंगल में भेजे गए। राम एक सुनहरे हिरण का पीछा करने में व्यस्त हो जाते हैं।
सीता जी को कुटिया में न पाकर राम और उनके भाई उन्हें तलाशने के लिए निकल पड़े। तलाशते -तलाशते उनकी मुलाक़ात हनुमान जी से होती है। हनुमान जी द्वारा उनकी मुलाक़ात वानरों के राजा सुग्रीव के साथ होती है। सभी लोग गुफा में प्रवेश करते हैं, और सीता जी को तलाशने की बाते होती है।
हनुमान जी द्वारा सीताजी का पता चलता है। वानर हनुमान और रावण के अपने भाई, विभीषण की सहायता से, वे लंका पर हमला करते हैं। राम रावण का वध करते हैं और सीता को बचाते हैं, जो खुद को पतिव्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरती है।
रामजी सभी बंधू -बांधवो सहित अयोध्या लौटते हैं। वे सभी बारी - बारी से अपनी सभी माताओं से मिलते है। कुछ समय सही बीतने पर एक दिन राम जी को पता चलता है कि लोग अभी भी रानी की शुद्धता पर सवाल उठाते हैं, और वह सीता जी जंगल में भेज देते है।
वहाँ वह ऋषि वाल्मीकि (रामायण के प्रतिष्ठित लेखक) से मिलती है और उनके आश्रम में राम के दो पुत्रों को जन्म देती है। जब बेटे बड़े हो जाते हैं तो परिवार फिर से जुड़ जाता है, लेकिन सीता, फिर से अपनी बेगुनाही का विरोध करने के बाद, अपनी माँ, जो उसे प्राप्त करती है और उसे निगल जाती है, पृथ्वी पर गिर जाती है।
कविता को भारत में अपार लोकप्रियता प्राप्त है, जहाँ इसका पाठ करना एक महान योग्यता का कार्य माना जाता है। वाल्मीकि को एक ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप में बहुत कम जाना जाता है, हालांकि उन्हें ऋषि बनने से पहले रत्नाकर नामक चोर के रूप में वर्णित किया गया है।
स्थानीय भाषाओं में रामायण के कई अनुवाद स्वयं महान साहित्यिक कलात्मकता की कृतियाँ हैं, जिनमें कम्पन का तमिल संस्करण, कृतिबास का बंगाली संस्करण और तुलसीदास का हिंदी संस्करण, रामचरितमानस शामिल है।
पूरे उत्तर भारत में कविता की घटनाओं को एक वार्षिक तमाशा, राम लीला, और दक्षिण भारत में दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत, मालाबार के कथकली नृत्य-नाटक की कहानी के प्रदर्शनों की सूची बनाते हैं। रामायण मुगल काल (16वीं शताब्दी) के दौरान लोकप्रिय थी, और यह 17वीं और 18वीं शताब्दी के राजस्थानी और पहाड़ी चित्रकारों का पसंदीदा विषय था।
यह कहानी पूरे दक्षिण पूर्व एशिया (विशेष रूप से कंबोडिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड) में विभिन्न रूपों में फैली, और इसके नायक, महाभारत के पांडव भाइयों के साथ, पारंपरिक जावानी-बालिनी थिएटर, नृत्य और छाया नाटकों के नायक भी थे। रामायण की घटनाओं को कई इंडोनेशियाई स्मारकों पर आधार-राहत में उकेरा गया है - उदाहरण के लिए, पूर्वी जावा में पानातरन में।
हनुमान जी कौन थे?
हनुमान जी हिंदू पौराणिक कथाओं में, वानर सेना के वानर सेनापति थे। उनके कारनामों को महान हिंदू संस्कृत कविता रामायण ("राम की यात्रा") में वर्णित किया गया है।
पवन देवता ने (हनुमान जी को ) एक बच्चे के रूप में, ऊपर उड़ने और सूर्य को पकड़ने की कोशिश की, जिसे उन्होंने खाने का फल समझा। देवताओं के राजा इंद्र ने हनुमान के जबड़े पर वज्र से प्रहार किया, जिससे नाम प्रेरणा मिली।
जब हनुमान ने दुर्व्यवहार करना जारी रखा, तो शक्तिशाली ऋषियों ने उन्हें अपनी जादुई शक्तियों को भूल जाने का श्राप दिया, जैसे कि उड़ने की क्षमता या असीम रूप से बड़े होने की, हनुुमान जी ने क्षमा मांगी तो ऋषियों ने कहा जब कोई तम्हें तम्हारी शक्तियों को याद दिला देगा तो तम्हें अपनी शक्तियां याद आ जायेंगी।
हनुमान ने भगवान विष्णु के एक अवतार राम की मदद करने के लिए बंदरों का नेतृत्व किया, राम की पत्नी, सीता को लंका के राजा राक्षस रावण (संभवतः वर्तमान श्रीलंका में नहीं) से पुनर्प्राप्त किया।
भालुओं के राजा जाम्बवन्त द्वारा अपनी शक्तियों को याद दिलाने के बाद, हनुमान ने एक छलांग में भारत और लंका के बीच जलडमरूमध्य को पार कर लिया, बावजूद इसके कि पानी के राक्षसों ने उसे या उसकी छाया को निगलकर उसे रोकने के प्रयासों के बावजूद।
वह लंका में खोजा गया था, और उसकी पूंछ में आग लगा दी गई थी, लेकिन उसने उस आग का इस्तेमाल लंका को जलाने के लिए किया था। हनुमान भी हिमालय के लिए उड़ान भरी और राम की सेना में घायलों तथा लक्ष्मण जी को ठीक करने के लिए औषधीय जड़ी बूटियों से भरे पहाड़ के साथ लौटे।
हनुमान चालीसा (हिंदी में ) | Hanuman Chalisa In
Hindi 💖 💖
हनुमान को राम को समर्पित मंदिरों में या सीधे हनुमान को समर्पित मंदिरों में एक सहायक व्यक्ति के रूप में पूजा जाता है। बाद वाले आम तौर पर बंदरों से घिरे होते हैं, जो जानते हैं कि वहां उनके साथ गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है।
पूरे भारत के मंदिरों में, वह एक लाल चेहरे वाले बंदर के रूप में प्रकट होता है जो एक इंसान की तरह खड़ा होता है। राम की सेवा के लिए, हनुमान को सभी मानवीय भक्ति (भक्ति) के लिए एक आदर्श के रूप में रखा गया है।
हनुमान मध्य, दक्षिणपूर्व और पूर्वी एशिया में बौद्धों के बीच भी एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं, और उन सभी क्षेत्रों में उनकी पूजा के लिए कई मंदिर बनाए गए हैं और कस्बों के जिलों में उनका नाम है। भारत के बाहर, हालांकि, उसके बारे में अलग-अलग किस्से बताए जाते हैं।
राम जी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
क्या राम जी मांसाहारी थे?
नही,भगवान राम ने छत्रीय वंश में उत्पन्न होने के बाद भी कभी मांस को हाथ नही लगाया।खाना तो बहुत दूर की बात है।
राम जी के चारित्र से हमे क्या शिक्षा मिलती है?
भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे।उन्होंने अपने हर धर्मो का पालन बड़ी ही बखुबी से निभाया है चाहे वो धर्म उनके माता पिता के प्रति हो या फिर गुरू जनो ,भाई,बन्धु,किसी के भी प्रति हो ,उन्होने हर रिश्ते को बड़ी ही सहजता व धैर्यपूर्ण तरीके से निभाया है।
इसलिए भगवान् राम के चरित्र से मनुष्यों यही सीख लेनी चाहिए की वह किसी भी परिस्थिति से घबराये नहीं , दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखें ,दूसरों की मदद करने से कभी पीछे न हटे ,अपने माता -पिता के साथ बुरा आचरण न करें। ऊँच -नीच का भेदभाव किये बिना हर प्राणी के प्रति प्यार और सहानुभूति की भावना रखना ।
क्या कैकई ने राम को वनवास भरत को राजा बनाने के लिए दिया ?
प्रभु श्री राम बोले माता बोलो आपको क्या चाहिए। माता कैकई ने कहा हे प्रभु !यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते तो मुझे ये वरदान दे की आप अपना अगला अवतार मेरे गर्भ से ले। इस पर श्री राम बोले !
हे माता मैं तो ये वरदान माता देवकी को पहले से ही दे चूका हूँ। लेकिन आपको भी ये वरदान देता हूँ की माता देवकी के गर्भ से उत्त्पन्न होने के बावजूद भी अपना सारा बचपन कृष्ण रूप के अवतार में आपकी गोद में खेलूँगा और आप संसार में यशोदा मैया के नाम से जानी जाएंगी।
राम जी ने केवट को सेवा करने का अवसर क्यों दिया ?
भगवान विष्णु विष्णु लोक में शेषनाग की सैया पर विश्राम कर रहे थे और माता लक्ष्मी उनके चरण दबा थी। तभी समुन्द्र में एक कछुआ भगवान् विष्णु के चरण छूने की कोशिश में लगा हुआ था। श्री हरी विष्णु जी के आराम में कोई बाधा न पड़े इसलिए माता लक्ष्मी ने अपने हाथ से उसे पीछे कर रही थी।
हजार कोशिश करने के बाद भी कछुआ भगवान के चरण स्पर्श नहीं कर पाया तो सोचने लगा क्यों न भगवान् के मुख के दर्शन कर लिए जाए। चरणों का ध्यान छोड़कर कछुआ प्रभु के मुख की और चल पड़ा। जब वो मुख के पास पंहुचा तो भगवान के शीश पर छाया वाले शेषनाग ने अपनी फुंकार से उसे दूर कर दिया।
दुखी होकर कछुए ने मन ही मन भगवान से कहा हे प्रभु !क्या आपकी सेवा करने का जिम्मा सिर्फ इन दोनों नहीं लिया है। कछुए की बात सुनकर भगवान् विष्णु मन में मुस्कुराते हुए उसे आशीर्वाद देते है की तुम्हारे अगले जन्म मे एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हे मेरी सेवा करने का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा और ये दोनों देखते ही रह जाएंगे, कुछ भी नहीं कर पाएंगे।
अगले जन्म में भगवान् विष्णु राम अवतार में प्रकट हुए और 14 वर्ष का वनवास मिलने पर सीताजी और लक्ष्मण जी समेत वन को निकले। जब वो गंगा तट पर पहुंचे तो गंगा पार करने के लिए केवट नौषाद राज से आग्रह किया।
केवट ने कहा हे प्रभु !नदी तो मैं आपको पार करा दूंगा लेकिन उससे पहले आप मुझे अपने चरण धोने की आज्ञा दें कर मुझे भवसागर से पार करने का वचन दीजिए। केवट के भक्ति भाव को सुन कर प्रभु श्री राम ने केवट को चरण धोने की आज्ञा दी।
केवट को चरण धोते हुए देखकर प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण और सीता जी ( जो की पिछले जन्म में माता लक्ष्मी और शेषनाग थे ) से कहा की ये केवट पूर्व जन्म का वही कछुआ है जिसे आप दोनों ने मेरे चरण छूने व सेवा करने से दूर किया था। आज इस जन्म में मेरी सेवा करके सम्पूर्ण फल प्राप्त कर रहा है। और आप दोनों देख रहे हो और कुछ भी नही कर पा रहे हो।