पूजा घर मे शंख मे जल भरकर रखना चाहिए या नही ?

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप? आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे। दोस्तों! आज की इस पोस्ट मे हम जानेंगे की पूजा घर मे शंख मे जल भरकर रखना चाहिए या नही ?

पूजा घर मे शंख मे जल भरकर रखना चाहिए या नही ?


पूजा घर मे शंख मे जल भरकर रखना चाहिए या नही ?
पूजा घर मे शंख मे जल भरकर रखना चाहिए या नही ?


पूजा घर में शंख में पानी भरकर रखने का विशेष महत्व है, और इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं। हालांकि, इस विषय में कुछ ध्यान देने योग्य बातें हैं:

शंख का महत्व और उपयोग।

पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा

शंख को शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। पूजा में शंख बजाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है, और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

शंख में जल का स्थान

शंख में गंगाजल या पवित्र जल भरकर रखने की परंपरा है। इसे पूजा में उपयोग किया जा सकता है, विशेषकर भगवान विष्णु या लक्ष्मी की पूजा में। शंख का जल छिड़कने से वातावरण पवित्र होता है, और इसे देवी-देवताओं को चढ़ाया भी जा सकता है।

विशेष रूप से दक्षिणावर्ती शंख

दक्षिणावर्ती शंख में जल भरना और उसे पूजा में उपयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली लाता है।

क्या शंख में पानी भरकर रखना चाहिए?

आमतौर पर शंख में पानी भरकर रख सकते हैं, लेकिन उसे प्रतिदिन बदलते रहना चाहिए। इसे कुछ धार्मिक आस्थाओं के अनुसार ही उपयोग करें, क्योंकि यदि पानी पुराने समय तक रहता है तो यह शुद्धता की दृष्टि से उचित नहीं है।

पूजा के बाद पानी निकाल दें

शंख में पानी भरकर रखना तो शुभ है, लेकिन पूजा के बाद पानी को हटा देना चाहिए। 

गंगाजल का प्रयोग 

यदि संभव हो तो शंख में गंगाजल भरें और इसे भगवान पर छिड़कें या पूरे पूजा स्थान में छिड़काव करें। 

दिशा का ध्यान

पूजा स्थान में शंख को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना उचित माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

पूजा घर में शंख में पानी भरकर रखना शुभ होता है, लेकिन इसे नियमित रूप से बदलना चाहिए ताकि उसकी पवित्रता बनी रहे।

शंख का भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके कई प्रकार के प्रयोग, रखरखाव और लाभ हैं। यहाँ कुछ प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

शंख में पानी भरकर रखने से क्या होता है?

शंख में पानी भरकर रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह जल पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जिससे वातावरण में सकारात्मकता और शांति आती है। पूजा में इसका उपयोग करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शंख में चावल भरकर रखने से क्या होता है?

शंख में चावल भरकर रखने से धन, समृद्धि और घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह गृहलक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रतीक माना गया है और इससे घर में बरकत बढ़ती है।

शंख में क्या भरकर रखना चाहिए?

शंख में गंगाजल, चावल, और केसर भरना शुभ माना गया है। इनसे घर में सुख-समृद्धि आती है और पवित्रता बनी रहती है।

घर में खाली शंख रखने से क्या होता है?

घर में खाली शंख रखना अशुभ नहीं है, परन्तु इसे सही दिशा में रखना चाहिए। इसे किसी पवित्र स्थान पर रखें और ध्यान रखें कि इसका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो।

शंख में दूध डालने से क्या होता है?

शंख में दूध डालकर भगवान विष्णु को अर्पण करना शुभ माना जाता है। इससे लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

भगवान के सामने शंख कैसे रखें?

शंख को भगवान के सामने इस प्रकार रखें कि उसका मुख भगवान की ओर रहे। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखना शुभ माना गया है।

पूजा के समय शंख कितनी बार बजाना चाहिए?

पूजा में शंख को 3 बार बजाना अच्छा माना गया है - एक बार पूजा की शुरुआत में, दूसरी बार आरती के समय, और तीसरी बार पूजा समाप्ति पर।

क्या शंख अशुभ होता है?

शंख अशुभ नहीं होता है बल्कि इसे शुभ और पवित्र माना जाता है। शंख से वातावरण में सकारात्मकता और शांति आती है, और इसे देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना गया है।

घर के मंदिर में घंटी और शंख कैसे रखें?

शंख को भगवान की मूर्ति के पास रखें और घंटी को पास में एक स्थान पर रखें ताकि पूजा के समय इनका उपयोग आसानी से हो सके। 

पूजा घर में कितने शंख रखने चाहिए?

पूजा घर में 1 या 2 शंख रखना पर्याप्त है, विशेषकर यदि एक शंख का मुख बाईं ओर (वामावर्ती) और एक का मुख दाईं ओर (दक्षिणावर्ती) हो।

शंख चावल के नीचे क्यों नहीं रहता है?

शंख को चावल के नीचे रखने की परंपरा नहीं है, क्योंकि शंख का स्थान ऊपर माना गया है और चावल के ऊपर रखना इसे उचित मानते हैं।

शंख का मुंह किधर होता है?

शंख का मुख पूजा के समय उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशाओं के संतुलन के अनुसार शुभ माना जाता है।

शंख कब नहीं बजाना चाहिए?

रात के समय, विशेषकर सूर्यास्त के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए। इसे सिर्फ शुभ अवसरों, पूजा के समय, और सुबह-सुबह बजाना उचित माना गया है।

शंख की सेवा कैसे करें?

शंख को नियमित रूप से जल से धोएं और पवित्र जल से इसका अभिषेक करें। इसे साफ-सुथरी जगह पर रखें और पूजा के समय इसका आदरपूर्वक उपयोग करें।

शंख का दान करने से क्या होता है?

शंख का दान करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होता है और यह धार्मिक दृष्टि से पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। विशेष रूप से दक्षिणावर्ती शंख का दान आर्थिक लाभ और समृद्धि प्रदान करता है।

शंख टूट जाने से क्या होता है?

यदि शंख टूट जाए, तो उसे पूजा स्थान से हटा देना चाहिए। इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना या किसी पवित्र स्थान पर रख देना चाहिए।

शंख से कौन सा रोग होता है?

शंख से किसी रोग का होना वैज्ञानिक दृष्टि से सिद्ध नहीं है। बल्कि, इसे बजाने से वातावरण शुद्ध होता है और इसकी ध्वनि से तनाव में कमी आती है।

आपको कैसे पता चलेगा कि शंख असली है?

असली शंख का वजन भारी होता है और इसका स्वर एकदम गूंजने वाला होता है। इसकी सतह चिकनी होती है और इसके रंग में हल्का प्राकृतिक धवलता होता है।

लक्ष्मी जी कहाँ निवास करती हैं?

लक्ष्मी शंख कौन सा होता है?

लक्ष्मी शंख दक्षिणावर्ती शंख होता है, जिसका मुख दाईं ओर खुलता है। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे घर में रखने से धन, समृद्धि और सुख-शांति आती है।

कौन सा शंख रखना शुभ होता है?

दक्षिणावर्ती शंख और वामावर्ती शंख, दोनों ही शुभ माने जाते हैं। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दक्षिणावर्ती शंख विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है।

शंख की शुद्धता की जांच कैसे करें?

शंख की शुद्धता के लिए इसे जल में डालकर देखें। असली शंख पानी में डूबता है और उसकी ध्वनि में गहराई होती है।

देवघर में शंख कैसे रखें?

देवघर में शंख को भगवान की मूर्ति के पास, उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। इसे साफ-सुथरा और पवित्र स्थान पर रखें।

टूटे हुए शंख का क्या करें?

टूटे हुए शंख को पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए। इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना उचित होता है, या किसी मंदिर में रख दें।

चावलों में दबा शंख खुद ऊपर क्यों आ जाता है?

दोस्तों! शंख का खुद ऊपर आना एक दिलचस्प घटना है, जो संभवतः विज्ञान और शंख के भौतिक गुणों से जुड़ी है। आइए इसे कुछ बिंदुओं में समझते हैं।

1. घनत्व और उछाल

शंख में हवा के छोटे-छोटे कक्ष होते हैं, जो उसे हल्का बनाते हैं। इसकी संरचना और घनत्व के कारण शंख में उछाल शक्ति (बॉयेंसी) होती है, जो उसे किसी भी पदार्थ के अंदर दबाने पर ऊपर आने में मदद करती है। जब शंख को चावल के बीच में रखा गया, तो चावल का वजन और ढेर उस पर पड़ा, लेकिन उसकी उछाल शक्ति ने उसे वापस ऊपर धकेल दिया।

2. चावल की स्थिरता

चावल के ढेर में कणों के बीच हवा का स्थान भी होता है, जो शंख को बाहर निकालने में मदद करता है। जब शंख को ढेर में डाला गया, तो वह चावल के दानों के बीच से जगह बनाते हुए धीरे-धीरे ऊपर आ गया।

3. कंपन या वायुमंडलीय दबाव का प्रभाव

आसपास के किसी कंपन या तापमान में परिवर्तन का भी शंख की गति पर प्रभाव पड़ सकता है। जैसे-जैसे चावल के कण धीरे-धीरे अपनी जगह छोड़ते गए, शंख का प्राकृतिक उछाल उसे ऊपर ले आया।

यह प्रक्रिया सरल भौतिक नियमों पर आधारित है, जो हमें दिखाता है कि किस प्रकार प्राकृतिक संरचनाएं अपने अद्भुत गुणों का प्रदर्शन करती हैं।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। अपनी राय प्रकट करें। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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