मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती

हर हर महादेव, प्रिय पाठकों! कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के बारे मे। तो चलिए बिना देरी किए पढ़ते हैं आज की पोस्ट-

मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती


मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती


मोक्षदा एकादशी या मोक्ष एकादशी,  यह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। इसे मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके पितरों को भी मुक्ति मिलती है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

1. मोक्ष की प्राप्ति- इस एकादशी का नाम ही 'मोक्षदा' है, जिसका अर्थ है 'मोक्ष प्रदान करने वाली।' इस दिन व्रत और पूजा करने से जीव सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

2. पितरों की मुक्ति- पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन किए गए पुण्य कार्य और व्रत से पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है।

3. गुरु और धर्म का पालन- मोक्षदा एकादशी के दिन सत्य, अहिंसा, दान और गुरु की सेवा का पालन करना अत्यंत फलदायक होता है।

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा विष्णु पुराण में मिलती है।

संक्षिप्त कथा 

गोकुल नगर के राजा वैखानस अपने राज्य में सुख और शांति बनाए रखने के लिए धर्म और न्यायपूर्वक शासन करते थे। एक रात राजा को सपना आया कि उनके पितृ नरक में कष्ट झेल रहे हैं।राजा ने दुखी होकर अपने राजपुरोहितों और संतों से इसका समाधान पूछा। संतों ने कहा कि मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का व्रत करें और भगवान श्रीविष्णु की पूजा करें। राजा और उनके परिवार ने विधिपूर्वक व्रत रखा। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उनके पितरों को नरक से मुक्त किया।

व्रत की विधि

1. स्नान और संकल्प- प्रातःकाल गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु की पूजा- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर, धूप, फूल और तुलसी दल अर्पित करें।

3. व्रत कथा का श्रवण- मोक्षदा एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें।

4. सत्कर्म और दान- गरीबों को भोजन, वस्त्र और दान दें।

5. निर्जला व्रत या फलाहार- व्रत निर्जला (बिना पानी के) या फलाहार रख सकते हैं। अगले दिन द्वादशी पर व्रत पारण करें।

मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती

मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवद्गीता का उपदेश दिया था। गीता के उपदेश जीवन के धर्म, कर्म और मोक्ष का मार्गदर्शन करते हैं।

मोक्षदा एकादशी के लाभ

1. मोक्ष की प्राप्ति और पितरों की मुक्ति।

2. मानसिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति।

3. पुण्य अर्जन और पापों का नाश।

4. जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन।

मोक्षदा एकादशी आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और व्रत जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करने का साधन बनता है। 

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव

FAQS 

1. मोक्षदा एकादशी क्या है?

मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है और यह मोक्ष (मुक्ति) प्राप्ति का विशेष दिन माना जाता है।

2. मोक्षदा एकादशी का महत्व क्या है?

इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, पितरों को भी नरक से मुक्ति मिलती है।

3. मोक्षदा एकादशी पर कौन सी पूजा की जाती है?

भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। उनकी मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर, तुलसी दल, फूल, धूप और दीप अर्पित किए जाते हैं।

4. क्या मोक्षदा एकादशी पर निर्जला व्रत रखना जरूरी है?

निर्जला व्रत रखना जरूरी नहीं है। आप फलाहार या केवल पानी के साथ भी व्रत कर सकते हैं, लेकिन व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना आवश्यक है।

5. क्या मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती भी मनाई जाती है?

हां, मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है। यह वही दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था।

6. मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण कब किया जाता है?

व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। यह पारण का समय पंचांग के अनुसार तय किया जाता है।

7. क्या मोक्षदा एकादशी पर विशेष दान का महत्व है?

हां, इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है।

8. क्या मोक्षदा एकादशी का व्रत शादीशुदा महिलाएं कर सकती हैं?

हां, शादीशुदा महिलाएं, पुरुष, बच्चे, और वृद्ध सभी मोक्षदा एकादशी का व्रत रख सकते हैं। यह सभी के लिए शुभ और फलदायक है।

9. मोक्षदा एकादशी व्रत के दौरान क्या करना वर्जित है?

झूठ बोलना, क्रोध करना और किसी का अपमान करना।

तामसिक भोजन करना (लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि)।

आलस्य और अनावश्यक बातों में समय गंवाना।

10. क्या मोक्षदा एकादशी पर रात्रि जागरण करना चाहिए?

हां, इस दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप और भजन करते हुए रात्रि जागरण करना शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

11. मोक्षदा एकादशी का संबंध पितरों से कैसे है?

मोक्षदा एकादशी के व्रत और पूजा से पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है। उनकी आत्मा को शांति और स्वर्ग प्राप्ति होती है।

12. मोक्षदा एकादशी का मुख्य संदेश क्या है?

मोक्षदा एकादशी भक्ति, विनम्रता, और मोक्ष प्राप्ति का संदेश देती है। यह दिन व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर के प्रति समर्पण का मार्ग दिखाता है।

13. क्या इस एकादशी पर रामायण और भगवद्गीता का पाठ किया जा सकता है?

हां, रामायण और भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ये ग्रंथ आत्मिक शांति और धर्म का मार्ग दिखाते हैं।

14. क्या मोक्षदा एकादशी पर उपवास न रखने पर भी पुण्य मिलता है?

यदि कोई व्रत नहीं रख सकता, तो भगवान विष्णु की पूजा, दान-पुण्य और भगवद्गीता का पाठ करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।

15. क्या मोक्षदा एकादशी हर साल एक ही दिन पड़ती है?

नहीं, मोक्षदा एकादशी का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार तय होता है, इसलिए यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर साल अलग-अलग तिथि पर पड़ सकती है।

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