मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व के बारे में 

मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व।


मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व
मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व


मकर संक्रांति, जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र पर्व है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण की शुरुआत होती है। यह पर्व सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का विशेष समय है।

भगवान सूर्य की उपासना का महत्त्व

1. जीवनदायी शक्ति के रूप में सूर्य

सूर्य देव को हिंदू धर्म में जीवन का आधार माना गया है। वे पृथ्वी पर ऊर्जा, प्रकाश और जीवन प्रदान करते हैं। उनकी उपासना करने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणों का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह समय स्वास्थ्य और ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

2. पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति

मकर संक्रांति पर सूर्य की उपासना को पापों के नाश और पुण्य की प्राप्ति का साधन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने से पापों का नाश होता है।

3. उत्तरायण का विशेष महत्व

उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा जाता है। महाभारत में भीष्म पितामह ने उत्तरायण में ही अपने प्राण त्यागे थे क्योंकि इसे मोक्ष प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। सूर्य देव की उपासना इस शुभ समय में जीवन में सकारात्मकता और मोक्ष की ओर ले जाती है।

4. सूर्य देव की कृपा से रोग और शत्रु बाधा का नाश

सूर्य को आरोग्य और शक्ति का देवता माना गया है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना से व्यक्ति रोग, शत्रु बाधा और अन्य कष्टों से मुक्त हो सकता है। सूर्य नमस्कार और गायत्री मंत्र का जप इस दिन विशेष फलदायी होता है।

5. कृषि और समृद्धि का पर्व

मकर संक्रांति का सीधा संबंध कृषि से है। यह समय फसल कटाई का होता है और सूर्य देव की कृपा से अच्छी फसल के लिए किसान उनका धन्यवाद करते हैंइस दिन लोग सूर्य को तिल, गुड़ और जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

भगवान सूर्य की उपासना कैसे करें?

1. सूर्य को अर्घ्य देना

सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल फूल और तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें।

2. गायत्री मंत्र और सूर्य मंत्र का जाप

गायत्री मंत्र या ॐ सूर्याय नमः, का जाप करें। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

3. दान और पुण्य कर्म

तिल, गुड़, कपड़े, अन्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें। यह सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

4. सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार योग का अभ्यास इस दिन विशेष फलदायी होता है।

मकर संक्रांति का संदेश

मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और संतुलन का प्रतीक है। सूर्य देव की उपासना हमें सिखाती है कि जैसे सूर्य बिना भेदभाव के सभी को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करता है, वैसे ही हमें भी दूसरों की सेवा और सहायता करनी चाहिए।

अतः मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की उपासना करके हम न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को सुखमय और उन्नत बना सकते हैं।

आप इस दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिये आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs

संक्रांति पर काला क्यों पहनते हैं?

संक्रांति पर काला पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि यह ठंड से बचाता है और पारंपरिक मान्यता के अनुसार इस दिन काला रंग नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।

मकर संक्रांति मनाने के पीछे क्या कहानी है?

मकर संक्रांति सूर्य देव की उत्तरायण यात्रा का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का नाश करके धरती पर शांति स्थापित की थी।

खिचड़ी क्यों मनाई जाती है?

खिचड़ी संक्रांति का प्रमुख भोजन है। इसे तिल, गुड़, और दाल के साथ बनाना शुभ माना जाता है। यह सरलता और सौहार्द का प्रतीक है।

मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है?

सूर्य हर वर्ष 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। यह खगोलीय घटना हर साल लगभग एक ही दिन होती है।

राजस्थानी मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं?

राजस्थान में मकर संक्रांति पतंगबाजी, तिल-गुड़ के लड्डू, और खिचड़ी के साथ धूमधाम से मनाई जाती है। इसे 'उतरायन' भी कहते हैं।

मकर संक्रांति पर हमें कौन सा रंग नहीं पहनना चाहिए?

मकर संक्रांति पर अशुभ रंग जैसे सफेद या भड़कीले रंग पहनने से बचना चाहिए। पारंपरिक रूप से गहरे रंग पहनने की सलाह दी जाती है।

मकर संक्रांति के लिए कौन सा रंग लकी है?

काला और पीला रंग मकर संक्रांति के लिए शुभ माना जाता है।

संक्रांति में क्या नहीं करना चाहिए?

संक्रांति पर तामसिक भोजन, झगड़ा, और अपवित्रता से बचना चाहिए। इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

मकर संक्रांति किसकी याद में मनाई जाती है?

मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उत्तरायण यात्रा की शुरुआत का उत्सव है। यह नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।

क्या हम संक्रांति पर नॉनवेज खा सकते हैं?

नही,संक्रांति पर शाकाहारी भोजन करने की परंपरा है। नॉनवेज खाने से बचना चाहिए।

गोवा में मकर संक्रांति को क्या कहते हैं?

गोवा में मकर संक्रांति को 'संक्रात' कहा जाता है। यह पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है।

मकर संक्रांति के दिन कौन सा दान करना चाहिए?

तिल, गुड़, कंबल, अनाज, और गर्म कपड़े दान करना शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन कितने बजे नहाना चाहिए?

इस दिन सूर्योदय से पहले या सूर्य की पहली किरण के साथ स्नान करना शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति पर क्या गिफ्ट दें?

तिल-गुड़ के लड्डू, पूजा सामग्री, कपड़े, और अन्य धार्मिक वस्त्र उपहार में देना शुभ होता है।

क्या हम संक्रांति पर बाल धो सकते हैं?

हां, मकर संक्रांति पर बाल धोना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन स्वच्छता का प्रतीक है।

क्या मकर संक्रांति पर बाल कटवाए जा सकते हैं?

नही,मकर संक्रांति पर बाल कटवाने से बचना चाहिए। यह धार्मिक दृष्टि से वर्जित माना जाता है।

मकर संक्रांति को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

मकर संक्रांति को इंग्लिश में Capricorn Solstice या Makar Sankranti कहा जाता है।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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