रामायण (एक दिव्य कथा का सारांश):प्रमुख घटनाएं

हर हर महादेव! प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप लोग, हमें उम्मीद है आप अच्छे होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे रामायण की दिव्य कथाओ के सारांश,कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में। 

रामायण (एक दिव्य कथा का सारांश):प्रमुख घटनाएं 

रामायण (एक दिव्य कथा का सारांश):प्रमुख घटनाएं


रामायण सनातन धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा। यह भगवान श्रीराम के जीवन, आदर्श, और उनके धर्म-पालन की कथा है। इसमें धर्म, कर्तव्य, और मर्यादा के आदर्श प्रस्तुत किए गए हैं

रामायण की प्रमुख घटनाएँ

1. बालकांड (श्रीराम का जन्म और शिक्षा)

अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं—कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। दशरथ को पुत्र प्राप्ति की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया। यज्ञ के प्रसाद से कौशल्या को राम, सुमित्रा को लक्ष्मण और शत्रुघ्न, और कैकेयी को भरत की प्राप्ति हुई।

श्रीराम बचपन से ही गुणी, विनम्र और वीर थे।

गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र से उन्होंने वेदों और धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त किया।

श्रीराम ने ताड़का वध किया और ऋषियों के यज्ञ की रक्षा की।

जनकपुर में शिव धनुष तोड़कर उन्होंने सीता का स्वयंवर जीता और उनसे विवाह किया।

2. अयोध्याकांड (राम का वनवास)

राजा दशरथ राम को अयोध्या का राजा बनाना चाहते थे, लेकिन कैकेयी की दासी मंथरा ने उन्हें बहकाकर राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवा दिया।

राम ने पिता की आज्ञा मानी और सीता तथा लक्ष्मण के साथ वन को चले गए।

राजा दशरथ राम के वियोग में स्वर्ग सिधार गए।

3. अरण्यकांड (वनवास का जीवन)

राम, सीता और लक्ष्मण ने वन में ऋषियों के साथ समय बिताया और उनकी रक्षा की।

शूर्पणखा (रावण की बहन) ने राम से विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन राम ने मना कर दिया। लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।

अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को राम-सीता के बारे में बताया।

रावण ने मारीच को सोने का मृग बनाकर सीता को छलने भेजा। सीता ने उस मृग को पकड़ने की इच्छा जताई।

जब राम और लक्ष्मण मृग के पीछे गए, तब रावण ने साधु का वेश धारण कर सीता का हरण कर लिया।

4. किष्किंधाकांड (सुग्रीव और बाली की कथा)

सीता को ढूंढते हुए राम और लक्ष्मण किष्किंधा पहुंचे।

वहाँ उनकी मित्रता सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने अपने भाई बाली का वध करवाया और वानरों की सेना तैयार की।

हनुमान को सीता की खोज के लिए भेजा गया।

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5. सुंदरकांड (हनुमान की वीरता)

हनुमान ने समुद्र पार कर लंका में प्रवेश किया।

उन्होंने सीता को अशोक वाटिका में रावण के कैद में देखा और राम का संदेश दिया।

हनुमान ने लंका को जलाकर राम के विजय का संकेत दिया।

6. लंकाकांड (युद्ध और विजय)

राम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई की।

समुद्र देव की सहायता से उन्होंने समुद्र पर पुल बनाया।

भीषण युद्ध हुआ जिसमें रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद जैसे योद्धा मारे गए।

राम ने रावण का वध किया और सीता को मुक्त कराया।

7. उत्तरकांड (राम का राज्याभिषेक)

राम ने अयोध्या लौटकर राज्य संभाला।

रामराज्य के दौरान प्रजा सुखी और समृद्ध थी।

सीता को लेकर कुछ विवाद उत्पन्न हुआ, जिससे राम ने सीता को वन में भेज दिया।

वाल्मीकि के आश्रम में सीता ने लव और कुश को जन्म दिया।

अंत में, सीता धरती माता में विलीन हो गईं और राम ने सरयू नदी में जलसमाधि ली।

रामायण के आदर्श और संदेश

1. धर्म पालन- राम ने हर परिस्थिति में धर्म का पालन किया।

2. त्याग और सेवा- सीता, लक्ष्मण और हनुमान ने आदर्श सेवा और त्याग का उदाहरण प्रस्तुत किया।

3. सत्य और न्याय- यह कथा सत्य और न्याय के महत्व को उजागर करती है।

4. प्रेम और समर्पण- राम और सीता का संबंध प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

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FAQs 

1. रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाइयां?

रामायण में कई प्रेरणादायक चौपाइयां हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चौपाइयां हैं:

बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सदग्रंथन गावा॥

अर्थ- मानव जन्म बड़े सौभाग्य से मिलता है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।

परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥

अर्थ- दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई पाप नहीं है।

सिया राम मय सब जग जानी। करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी॥

अर्थ- सीता और राम से समस्त जगत व्याप्त है, इसलिए दोनों हाथ जोड़कर सबको प्रणाम करना चाहिए।

इन चौपाइयों में जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।

2. रामायण का मुख्य संदेश क्या है? 

रामायण का मुख्य संदेश धर्म, कर्तव्य, मर्यादा, और आदर्श जीवन मूल्यों का पालन करना है। यह ग्रंथ सिखाता है कि सत्य, धर्म, और नैतिकता के मार्ग पर चलकर जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। श्रीराम के जीवन चरित्र के माध्यम से आदर्श पुत्र, पति, भाई, और राजा के कर्तव्यों का निर्वहन करने की प्रेरणा मिलती है।

3. रामायण में कौन सा कांड नहीं पढ़ा जाता? 

रामायण के सात कांडों में से 'उत्तरकांड' को लेकर कई तरह के विवाद हैं। माना जाता है कि उत्तरकांड मूल वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं है और इसमें कई कहानियां बाद में जोड़ी गई हैं। इस कारण कुछ विद्वान और भक्त उत्तरकांड का पाठ नहीं करते। 

4. उस राक्षस का क्या नाम है जिसने भगवान राम की तपस्या को भंग करने का प्रयास किया था? 

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, 'कबंध' नामक राक्षस ने भगवान राम और लक्ष्मण पर आक्रमण किया था। उसका मुंह उसके पेट में था और वह अत्यंत भयानक दिखता था। श्रीराम ने उसका वध करके उसे मोक्ष प्रदान किया। 

5. मृत्यु के समय राम की उम्र कितनी थी? 

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, श्रीराम को 27 वर्ष की आयु में 14 वर्ष का वनवास हुआ। रावण के साथ युद्ध के समय उनकी आयु लगभग 39-40 वर्ष थी। हालांकि, कुछ मान्यताओं के अनुसार, श्रीराम ने 11,000 वर्षों तक अयोध्या पर शासन किया। यह विवरण प्रतीकात्मक माना जाता है और विभिन्न ग्रंथों में अलग-अलग उल्लेख मिलता है। 

6. श्री राम ने शूद्र को क्यों मारा था? 

वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में वर्णित है कि श्रीराम ने 'शंबूक' नामक शूद्र तपस्वी का वध किया था। शंबूक तपस्या कर रहा था, जो उस समय के सामाजिक नियमों के अनुसार शूद्रों के लिए वर्जित था। इस तपस्या के कारण एक ब्राह्मण बालक की मृत्यु हो गई थी। राजधर्म के पालन हेतु श्रीराम ने शंबूक का वध किया, जिससे बालक पुनः जीवित हो गया। 

7. विवाह के समय सीता जी की उम्र क्या थी? 

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, विवाह के समय श्रीराम की आयु 13 वर्ष और सीता जी की आयु 6 वर्ष थी। हालांकि, कुछ अन्य ग्रंथों में सीता जी की आयु 18 वर्ष और श्रीराम की आयु 27 वर्ष बताई गई है। इस प्रकार, विभिन्न ग्रंथों में आयु संबंधी विवरण में अंतर पाया जाता है। 

8. राम की मूर्ति काली क्यों होती है? 

राम लला की मूर्ति 'कृष्ण शिला' नामक काले रंग के पत्थर से बनाई गई है, जिसे 'श्यामल' भी कहा जाता है। इस पत्थर के अपने विशेष गुण हैं, और यह परंपरागत रूप से मूर्ति निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसलिए राम लला की मूर्ति का रंग काला होता है। 

9. क्या राम ब्राह्मण थे? 

श्रीराम क्षत्रिय वर्ण के थे और सूर्यवंश में जन्मे थे। उनके पिता दशरथ अयोध्या के राजा थे, जो इक्ष्वाकु वंश से संबंधित थे। इस प्रकार, श्रीराम का वर्ण क्षत्रिय

संक्षेप में 

रामायण न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह जीवन को जीने की कला सिखाती है। इसमें वर्णित आदर्श और मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन में सही दिशा दिखाते हैं।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट। आशा करते हैं कि अच्छी-लगी होगी ।इसी के साथ विदा लेते हैं। अगली पोस्ट के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखें, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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