ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक साहित्य | प्राचीन भारतीय ग्रंथों का विवरण

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे है आप लोग ,हम आशा करते है कि आप ठीक होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे ऋग्वैदिक काल एवं उत्तर वैदिक काल के साहित्य के बारे में विस्तृत जानकारी। 

ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक साहित्य|प्राचीन भारतीय ग्रंथों का विवरण


ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक साहित्य | प्राचीन भारतीय ग्रंथों का विवरण
ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक साहित्य | प्राचीन भारतीय ग्रंथों का विवरण


1. ऋग्वैदिक काल का साहित्य (1500-1000 ईसा पूर्व)

ऋग्वैदिक काल को वैदिक सभ्यता का प्रारंभिक काल माना जाता है। इस काल का प्रमुख साहित्य ऋग्वेद है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे प्राचीन ग्रंथ है और इसमें देवताओं की स्तुति, यज्ञों के महत्व, और प्राकृतिक शक्तियों के साथ मानव के संबंधों का वर्णन किया गया है।

ऋग्वेद

इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त, और लगभग 10,600 मंत्र हैं।

प्रमुख देवता- इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम, उषा, मरुत, सरस्वती आदि।

यज्ञ पर आधारित जीवन शैली का वर्णन।

यह मूलत- प्रकृति की पूजा पर आधारित है।

ऋग्वैदिक साहित्य की विशेषताएँ

देवताओं की स्तुति और यज्ञों का महत्व।

सामाजिक और आर्थिक जीवन का वर्णन।

काव्यात्मक शैली और छंदबद्ध भाषा।

चारों वेदों के रचयिता कौन हैं?

2. उत्तर वैदिक काल का साहित्य (1000-600 ईसा पूर्व)

उत्तर वैदिक काल में ऋग्वैदिक संस्कृति का विस्तार हुआ और अन्य वैदिक ग्रंथ रचे गए। यह काल धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अधिक संगठित था।

यजुर्वेद

यज्ञों से संबंधित मंत्र और प्रक्रियाओं का वर्णन।

इसे दो भागों में बाँटा गया है

शुक्ल यजुर्वेद

कृष्ण यजुर्वेद

सामवेद

इसमें ऋग्वेद के कुछ मंत्रों को गान (संगीत) के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

यह वैदिक काल के संगीत का आधार माना जाता है।

अथर्ववेद

इसमें जादू-टोने, तंत्र-मंत्र, और औषधीय ज्ञान का वर्णन।

इसमें समाज और स्वास्थ्य से जुड़े विषय भी शामिल हैं।

ब्राह्मण ग्रंथ

यज्ञों और उनकी विधियों की व्याख्या।

प्रमुख ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरेय ब्राह्मण, शतपथ ब्राह्मण।

आरण्यक और उपनिषद

आरण्यक- यज्ञ के गूढ़ पहलुओं पर चर्चा।

उपनिषद- दर्शन, आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष के सिद्धांत।

प्रमुख उपनिषद- बृहदारण्यक, छांदोग्य, केन, कठ, ईश, माण्डूक्य आदि।

साहित्य की तुलना

1. ऋग्वैदिक काल- प्राकृतिक देवताओं की पूजा, सरल जीवन, यज्ञों का आरंभ।

2. उत्तर वैदिक काल- जटिल यज्ञ प्रक्रियाएँ, ब्राह्मणों का वर्चस्व, दर्शन और आत्मा-ब्रह्म की अवधारणा।

इन दोनों कालों का साहित्य भारतीय संस्कृति और धर्म के विकास का आधार है।

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FAQs 

ऋग्वैदिक काल में कौन-कौन से ग्रंथ रचे गए थे?

ऋग्वैदिक काल में मुख्यतः ऋग्वेद रचा गया, जो वैदिक सभ्यता का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।

उत्तर वैदिक काल का मुख्य साहित्य क्या है?

उत्तर वैदिक काल में यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक, और उपनिषद रचे गए।

ऋग्वेद और उत्तर वैदिक साहित्य में क्या अंतर है?

ऋग्वेद प्राकृतिक देवताओं की स्तुति पर केंद्रित है, जबकि उत्तर वैदिक साहित्य में यज्ञ, सामाजिक संगठन, और दार्शनिक विचारों पर अधिक जोर है।

ऋग्वैदिक साहित्य में प्रमुख देवता कौन थे?

इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम, उषा आदि प्रमुख देवता थे।

उपनिषदों का महत्व क्या है?

उपनिषद आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष, और दर्शन की गहन व्याख्या करते हैं। इन्हें वेदांत का हिस्सा माना जाता है।

सामवेद का क्या उद्देश्य था?

सामवेद का उद्देश्य ऋग्वेद के मंत्रों को संगीतबद्ध करना और यज्ञों में उनका गान करना था।

ब्राह्मण ग्रंथ किसके लिए प्रसिद्ध हैं?

ये यज्ञों की प्रक्रियाओं और उनके महत्व की व्याख्या के लिए प्रसिद्ध हैं।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको कहानी। आशा करते हैं कि अच्छी-लगी होगी ।इसी के साथ विदा लेते हैं। अगली पोस्ट के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखें, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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