क्या शिव तामसिक हैं?

हर हर महादेव! प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप लोग, हमें उम्मीद है आप अच्छे होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि क्या भगवान शिव तामसिक है? क्या उनकी साधनाएँ केवल तामसिक होती है?क्या शिव अघोरी है?

क्या शिव तामसिक हैं?


क्या शिव तामसिक हैं?
क्या शिव तामसिक हैं?


शिव, जिन्हें हम भोलेनाथ, महादेव, और आदियोगी के रूप में जानते हैं, को प्राचीन भारतीय परंपराओं में एक आदर्श योगी और तपस्वी के रूप में माना गया है। उनकी साधना और जीवनशैली को लेकर कई प्रकार की कथाएं और दृष्टिकोण मौजूद हैं। आइए समझते हैं कि क्या शिव स्वयं अघोरी तामसिक साधन करते थे।

1. शिव का स्वरूप और साधना

शिव को वैराग्य और संपूर्णता का प्रतीक माना जाता है। वे योग, ध्यान और तपस्या के स्वामी हैं। उनकी साधना का उद्देश्य हमेशा आत्म-ज्ञान और सृष्टि की उच्चतम चेतना से जुड़ना रहा है। शिव अघोरी साधना से जुड़े हुए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे तामसिक साधन करते थे। उनकी साधनाएँ सत्त्व (पवित्रता), रजस (गतिशीलता), और तमस (निष्क्रियता) - इन तीनों गुणों से परे थीं।

2. अघोरी साधना और शिव का संबंध

अघोरी साधना का मुख्य उद्देश्य भौतिक और मानसिक सीमाओं को तोड़ना है। अघोरी शिव को अपने आदिगुरु मानते हैं क्योंकि शिव ने समाज द्वारा तय की गई सीमाओं से परे साधना की शिक्षा दी।

शिव श्मशान में रहते हैं, रुद्राक्ष पहनते हैं, भस्म लगाते हैं और मृत्युलोक की वास्तविकताओं को स्वीकार करते हैं। यह सब अघोरी साधना का प्रतीक हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ तामसिकता नहीं है।

शिव का श्मशान में निवास यह सिखाता है कि मृत्यु भी जीवन का एक हिस्सा है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।

3. क्या शिव तामसिक हैं?

शिव को तामसिक कहना गलत होगा। तामसिकता का अर्थ होता है आलस्य, हिंसा, और अज्ञान। शिव इन गुणों से परे हैं।

शिव तामसिक साधनाओं के माध्यम से यह दिखाते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपनी चेतना को ऊपर उठा सकता है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो। उनकी साधनाएँ आत्मिक विकास और आध्यात्मिक ऊंचाई की ओर ले जाती हैं।

शिव का भस्म लगाना, भूत-प्रेतों के स्वामी होना, और श्मशान में निवास करना प्रतीकात्मक है। यह दर्शाता है कि शिव हर प्रकार की ऊर्जा और चेतना को स्वीकार करते हैं, चाहे वह सत्त्विक हो, रजसिक हो या तामसिक।

4. अघोरी साधना का उद्देश्य

अघोरी साधना का मूल उद्देश्य जीवन और मृत्यु, शुभ और अशुभ, पवित्र और अपवित्र जैसी द्वैतता को पार करना है। शिव इसी विचार के प्रतीक हैं। वे यह सिखाते हैं कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए हर भौतिक और मानसिक बंधन को छोड़ना होगा।

5. क्या शिव ने तामसिक साधनाएँ कीं?

शिव की साधनाएँ केवल तामसिक नहीं थीं। वे तामस, रजस और सत्त्व तीनों गुणों से ऊपर उठे हुए थे। उनकी साधना में:

  • गहन ध्यान और मौन (सत्त्विक गुण)।
  • शक्ति और ऊर्जा (रजसिक गुण)।
  • श्मशान में निवास और भस्म (तामसिक प्रतीक)।
  • शिव ने इन सभी गुणों का उपयोग किया, लेकिन वे किसी एक गुण तक सीमित नहीं रहे।

संक्षेप में 

शिव स्वयं अघोरी साधनाओं के मूल प्रतीक हो सकते हैं, लेकिन वे तामसिक साधक नहीं थे। उनकी साधना समग्रता और पूर्णता का प्रतीक है, जो तीनों गुणों को संतुलित करती है और आत्मज्ञान की ओर ले जाती है। शिव का हर कार्य गहरे आध्यात्मिक अर्थ और शिक्षा से भरा है। उनके द्वारा अपनाई गई साधनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि किसी भी परिस्थिति में चेतना को जागृत किया जा सकता है।

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FAQs 

1. क्या शिव अघोरी हैं?

उत्तर: शिव को अघोरी साधना का आदिगुरु माना जाता है, लेकिन वे स्वयं अघोरी नहीं हैं। वे सभी साधनाओं के स्वामी हैं और तीनों गुणों (सत्त्व, रजस, तमस) से परे हैं।

2. क्या शिव तामसिक साधना करते थे?

नहीं, शिव किसी एक गुण तक सीमित नहीं हैं। वे सत्त्व, रजस और तमस तीनों को संतुलित रखते हैं। उनका श्मशान में निवास और भस्म धारण करना प्रतीकात्मक है, जो जीवन-मृत्यु की वास्तविकता को दर्शाता है।

3. शिव का अघोरी साधना से क्या संबंध है?

अघोरी साधना शिव से प्रेरित है, क्योंकि शिव सामाजिक बंधनों से परे हैं और हर चीज को स्वीकार करने की शक्ति रखते हैं। अघोरी उन्हें अपने आदिगुरु के रूप में पूजते हैं।

4. शिव श्मशान में क्यों रहते हैं?

श्मशान में निवास यह दर्शाता है कि शिव मृत्यु के भय से मुक्त हैं और हमें भी इस भय से ऊपर उठने की शिक्षा देते हैं। यह जीवन की नश्वरता और आत्मज्ञान की ओर संकेत करता है।

5. क्या अघोरी साधना तामसिक होती है?

बाहरी रूप से यह तामसिक लग सकती है, लेकिन इसका असली उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और सांसारिक द्वैत को पार करना होता है। यह उच्च आध्यात्मिक साधना का मार्ग भी हो सकता है।

6. शिव के भस्म लगाने का क्या अर्थ है?

शिव का भस्म लगाना इस बात का प्रतीक है कि शरीर नश्वर है और अंततः राख बन जाता है। यह वैराग्य और आत्मज्ञान की भावना को दर्शाता है।

7. क्या शिव किसी विशेष साधना का पालन करते थे?

शिव ने कई प्रकार की साधनाएँ कीं, लेकिन उनकी सबसे प्रमुख साधना ध्यान और योग से जुड़ी थी। वे आदियोगी हैं, जिन्होंने योग का ज्ञान दिया।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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