सप्त महाव्याहृतियाँ: अर्थ, महत्व और प्राणायाम में इनका उपयोग

हर हर महादेव! प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप लोग, हमें उम्मीद है आप अच्छे होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे सप्त महाव्याहृतियों के अर्थ और महत्त्व के बारे मे। साथ ही जानेंगे कि प्राणायाम में इनका क्या उपयोग है?

सप्त महाव्याहृतियाँ: अर्थ, महत्व और प्राणायाम में इनका उपयोग


सप्त महाव्याहृतियाँ: अर्थ, महत्व और प्राणायाम में इनका उपयोग
सप्त महाव्याहृतियाँ: अर्थ, महत्व और प्राणायाम में इनका उपयोग


सप्त महाव्याहृतियाँ वे सात दिव्य शब्द या बीजमंत्र हैं, जो गायत्री मंत्र के साथ उच्चारित किए जाते हैं। ये ऋग्वेद में वर्णित हैं और ब्रह्मांड के सात लोकों से जुड़े हैं।

1. सप्त महाव्याहृतियाँ कौन-सी हैं?

ये सात व्याहृतियाँ निम्नलिखित हैं—

1. ॐ भूः

2. ॐ भुवः

3. ॐ सुवः

4. ॐ महः

5. ॐ जनः

6. ॐ तपः

7. ॐ सत्यं

2. सप्त महाव्याहृतियों का अर्थ

प्रत्येक व्याहृति एक लोक (सात ऊर्ध्व लोकों) से संबंधित होती है और उसका विशेष अर्थ है—

1. भूः – पृथ्वी लोक (भौतिक संसार)

2. भुवः – अंतरिक्ष लोक (जीवन ऊर्जा का क्षेत्र)

3. सुवः – स्वर्ग लोक (आध्यात्मिक आनंद का क्षेत्र)

4. महः – महर्लोक (ऋषियों और साधकों का लोक)

5. जनः – जनलोक (मोक्ष प्राप्त आत्माओं का लोक)

6. तपः – तपोलोक (योगियों और तपस्वियों का लोक)

7. सत्यं – सत्यलोक (परम सत्य का लोक, ब्रह्मलोक)

3. इनके जाप और प्राणायाम का महत्व

1. चेतना का विस्तार- सप्त महाव्याहृतियाँ सात लोकों को संबोधित करती हैं, जिससे साधक की चेतना व्यापक होती है।

2. ऊर्जा संतुलन- इनके जाप से पंचप्राण (प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान) संतुलित होते हैं।

3. मानसिक शुद्धि- यह नकारात्मक विचारों को दूर कर मन को शांत और सात्त्विक बनाता है।

4. प्राणायाम में विशेष भूमिका- प्रत्येक महाव्याहृति के उच्चारण के साथ गहरी साँस लेने और छोड़ने से प्राण शक्ति जाग्रत होती है।

सात व्याहृतियों के साथ सात चरणों में प्राणायाम करने से सातों चक्र सक्रिय होते हैं।

5. आध्यात्मिक उन्नति- ब्रह्मांडीय ऊर्जा को जाग्रत कर आत्मज्ञान और ब्रह्मलोक की ओर अग्रसर करता है।

4. कैसे करें सप्त महाव्याहृतियों का जाप और प्राणायाम?

सुबह के समय शांत स्थान पर बैठें।

हर व्याहृति के साथ गहरी श्वास लें और छोड़ें।

सातों व्याहृतियों का उच्चारण करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करें।

धीरे-धीरे ध्यान की गहराई में जाएँ और ऊर्जा का अनुभव करें।

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संक्षेप में 

सप्त महाव्याहृतियाँ ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सात स्रोतों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनके जाप और प्राणायाम से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बना रहता है, जिससे आध्यात्मिक शक्ति और आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है।

FAQs (पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. सप्त महाव्याहृतियाँ क्या हैं?

सप्त महाव्याहृतियाँ वे सात पवित्र शब्द हैं— भूः, भुवः, सुवः, महः, जनः, तपः, सत्यं, जो ब्रह्मांड के सात ऊर्ध्व लोकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

2. सप्त महाव्याहृतियों का जाप करने से क्या लाभ होता है?

इनका जाप करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा, और चेतना का विस्तार होता है। यह ध्यान और प्राणायाम में सहायक होता है।

3. क्या सप्त महाव्याहृतियाँ गायत्री मंत्र का ही भाग हैं?

हाँ, ये गायत्री मंत्र से पहले उच्चारित की जाती हैं और इसकी शक्ति को बढ़ाती हैं।

4. सप्त महाव्याहृतियों का प्राणायाम से क्या संबंध है?

प्रत्येक व्याहृति के उच्चारण के साथ गहरी श्वास लेने और छोड़ने से प्राण ऊर्जा संतुलित होती है और सातों चक्र सक्रिय होते हैं।

5. सप्त महाव्याहृतियों का जाप कब करना चाहिए?

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में, स्नान के बाद इनका जाप सबसे उत्तम माना जाता है, लेकिन ध्यान और प्राणायाम के समय भी इनका प्रयोग किया जा सकता है।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव

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