दुर्गा सप्तशती: माँ दुर्गा की शक्तियों का रहस्य और हर अध्याय की सरल व्याख्या।
जय माता की! प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप, आशा करते हैं कि आप सुरक्षित होंगे।
आज हम बात करेंगे दुर्गा सप्तशती की, जो माँ दुर्गा की महिमा और शक्तियों का वर्णन करने वाला अत्यंत पवित्र ग्रंथ है। यह ग्रंथ नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पढ़ा जाता है। आइए जानते हैं इसकी कथा, महत्व और सरल व्याख्या।
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दुर्गा सप्तशती में माँ दुर्गा की शक्तियों और अध्यायों का सरल परिचय। |
दुर्गा सप्तशती का परिचय
दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ या दुर्गा चंडी भी कहा जाता है। यह मार्कण्डेय पुराण का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें 700 श्लोक (सप्तशती) शामिल हैं। यह ग्रंथ मुख्य रूप से माँ दुर्गा की तीन रूपों - महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की विजय गाथा का वर्णन करता है।
दुर्गा सप्तशती की तीन मुख्य कथाएँ
1. महाकाली की कथा (प्रथम चरित्र)
यह कथा राक्षस मधु और कैटभ के वध की है। जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे, तब मधु और कैटभ ने ब्रह्माजी पर आक्रमण कर दिया। तब ब्रह्माजी ने माँ योगनिद्रा की आराधना की, और उनकी कृपा से भगवान विष्णु जागे और उन राक्षसों का वध किया।
महत्व-- यह कथा बताती है कि माँ की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
2. महालक्ष्मी की कथा (मध्य चरित्र)
यह कथा राक्षस महिषासुर के वध की है। महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। तब सभी देवताओं ने मिलकर माँ महालक्ष्मी की उपासना की। माँ ने प्रकट होकर महिषासुर का वध किया।
महत्व-- यह कथा बताती है कि दुष्टता और अधर्म का अंत निश्चित है।
3. महासरस्वती की कथा (उत्तर चरित्र)
यह कथा राक्षसों शुंभ और निशुंभ के वध की है। ये दोनों राक्षस बहुत शक्तिशाली थे और तीनों लोकों को आतंकित कर रहे थे। तब माँ दुर्गा ने कात्यायनी और कालरात्रि के रूप में प्रकट होकर उन राक्षसों का संहार किया।
महत्व-- यह कथा दर्शाती है कि जब भी अधर्म बढ़ता है, माँ स्वयं प्रकट होकर उसका अंत करती हैं।
दुर्गा सप्तशती का महत्व
सात्विक, राजसिक और तामसिक शक्तियों के संतुलन का प्रतीक।
मन, वचन और कर्म से की गई पूजा सभी दुखों और समस्याओं का नाश करती है।
नवरात्रि के समय इसका पाठ विशेष रूप से सफलता, शांति और शक्ति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ सिद्ध करने के लिए पढ़े- दुर्गा सप्तशती का पाठ सिद्ध करने की विधि और उत्तम उपाय
पाठ विधि (दुर्गा सप्तशती पढ़ने का सही तरीका)
1. सबसे पहले माँ दुर्गा का आवाहन और प्रार्थना करें।
2. पवित्र आसन पर बैठकर ग्रंथ को सामने रखें।
3. शुद्ध मन और एकाग्रता से पाठ करें।
4. सप्तशती के 700 श्लोकों को क्रम से पढ़ें।
5. पाठ समाप्त होने के बाद आरती और प्रसाद वितरण करें।
दुर्गा सप्तशती के पाठ से प्राप्त लाभ
संकटों का नाश-- कठिन परिस्थितियों से मुक्ति मिलती है।
सफलता और समृद्धि-- व्यापार, शिक्षा और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति-- मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश-- बुरी नजर, भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
प्रिय पाठकों, यह थी दुर्गा सप्तशती की कथा और उसका महत्व।
दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय का सरल भाषा में वर्णन
और अब जानते हैं दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय का सरल भाषा में वर्णन। यह 700 श्लोकों का ग्रंथ तीन चरित्रों में बंटा हुआ है - प्रथम चरित्र (महाकाली की कथा), मध्य चरित्र (महालक्ष्मी की कथा), और उत्तर चरित्र (महासरस्वती की कथा)।
आइए, हम हर अध्याय को क्रम से समझते हैं।
प्रथम चरित्र - महाकाली की कथा (अध्याय 1)
अध्याय 1 - मधु और कैटभ का वध
यह अध्याय ब्रह्मा जी के द्वारा देवी की स्तुति से प्रारंभ होता है। भगवान विष्णु योगनिद्रा में थे और उसी समय दो असुर मधु और कैटभ ने ब्रह्मा जी पर आक्रमण कर दिया। ब्रह्मा जी ने देवी की आराधना की और उनकी कृपा से भगवान विष्णु जाग गए। उन्होंने मधु और कैटभ को 5000 वर्षों तक युद्ध कर हराया। अंत में, जब उन असुरों ने भगवान विष्णु को वरदान मांगने को कहा, तब भगवान ने उनकी मृत्यु का वरदान मांगा और उन्हें मार डाला।
महत्व-- यह अध्याय बताता है कि माता की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मध्य चरित्र - महालक्ष्मी की कथा (अध्याय 2 से 4)
अध्याय 2 - महिषासुर का उत्पात
महिषासुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था और देवताओं को परास्त कर दिया था। सभी देवता त्रस्त होकर भगवान विष्णु और शिव के पास सहायता मांगने पहुँचे।
क्या विष्णु तथा शिव दोनों का एक साथ भक्त हो सकता है जानने के लिये पढ़े-- क्या कोई भी व्यक्ति विष्णु तथा शिव दोनों का एक साथ भक्त हो सकता है?
अध्याय 3 - देवी महालक्ष्मी का प्रकट होना
सभी देवताओं की ऊर्जा से माँ महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। उन्होंने सभी देवताओं के तेज को अपने अंदर समाहित कर लिया और प्रकट होते ही महिषासुर के सैनिकों का संहार करना शुरू कर दिया।
अध्याय 4 - महिषासुर वध
माँ महालक्ष्मी और महिषासुर के बीच घोर युद्ध हुआ। अंत में, माँ ने उसे अपने त्रिशूल से मार गिराया। सभी देवताओं ने माँ की स्तुति की और आशीर्वाद प्राप्त किया।
महत्व-- यह अध्याय सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सच्चाई और धर्म की विजय निश्चित होती है।
उत्तर चरित्र - महासरस्वती की कथा (अध्याय 5 से 13)
अध्याय 5 - देवी का अवतार
शुंभ और निशुंभ नामक दो शक्तिशाली राक्षसों ने तीनों लोकों को आतंकित कर रखा था। सभी देवताओं ने माँ की स्तुति की। माँ ने कात्यायनी के रूप में अवतार लिया।
अध्याय 6 - दूत का प्रेषण
शुंभ और निशुंभ ने माँ कात्यायनी को विवाह के लिए प्रस्ताव भेजा। माँ ने अस्वीकार कर दिया और कहा कि जो मुझे युद्ध में जीत सकेगा, वही मुझसे विवाह कर सकेगा।
अध्याय 7 - चंड और मुंड का वध
शुंभ और निशुंभ के दो सेनापति चंड और मुंड ने माँ पर आक्रमण किया। माँ ने अपने क्रोध से कालरात्रि (चामुंडा) को उत्पन्न किया, जिसने चंड और मुंड दोनों का वध किया।
अध्याय 8 - रक्तबीज का वध
रक्तबीज नामक राक्षस की शक्ति यह थी कि उसकी रक्त की प्रत्येक बूंद से नया रक्तबीज उत्पन्न होता था। माँ कात्यायनी ने कालरात्रि से कहा कि वह रक्त की हर बूंद को पी जाए। इस प्रकार रक्तबीज का संहार हुआ।
अध्याय 9 - निशुंभ का वध
माँ ने निशुंभ के साथ भयंकर युद्ध कर उसे पराजित किया और अंत में उसका वध कर दिया।
अध्याय 10 - शुंभ का वध
शुंभ ने सभी राक्षसों को बुलाकर माँ पर आक्रमण किया। माँ ने उसे भी पराजित कर मार डाला।
अध्याय 11 - देवी की स्तुति और आशीर्वाद
सभी देवताओं ने माँ की स्तुति की और आशीर्वाद प्राप्त किया। माँ ने वचन दिया कि जब भी धर्म की रक्षा के लिए आवश्यकता होगी, वह प्रकट होंगी।
अध्याय 12 - फल श्रुति
इस अध्याय में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लाभों का वर्णन किया गया है। यह बताया गया है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा से इस ग्रंथ का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
अध्याय 13 - देवी का प्रस्थान
माँ ने सभी को आशीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गईं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ क्यों करें?
संकटों का नाश-- जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार-- मन और आत्मा की शुद्धि के लिए।
आध्यात्मिक उन्नति-- देवी की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति के लिए।
तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।
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धन्यवाद,
जय माँ दुर्गे!