वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र क्या है?

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप लोग, आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे आज हम बात करेंगे वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र की। जानेंगे इसकी विशेषताएं क्या है, लाभ क्या है और इसे करने का तरीका क्या है? क्यों है ये स्तोत्र इतना महत्वपूर्ण। सबकुछ जानेंगे आज की इस पोस्ट मे। 

वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र क्या है? वाराहपुराण में वर्णित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह भगवान विष्णु के जनार्दन स्वरूप की स्तुति करता है। इस स्तोत्र का पाठ भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक शांति पाने के लिए किया जाता है।

वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र क्या है?


वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र क्या है?
वाराहपुराण में वर्णित,महर्षि गौरमुख रचित जनार्दन स्तोत्र क्या है?


जनार्दन स्तोत्र की विशेषताएँ

1. भगवान विष्णु की स्तुति

यह स्तोत्र भगवान विष्णु के उन गुणों और लीलाओं की महिमा करता है, जो संसार के पालनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका को प्रकट करते हैं। जनार्दन नाम का अर्थ है - संसार के कष्टों का नाश करने वाले।

2. महर्षि गौरमुख की रचना

इस स्तोत्र की रचना महर्षि गौरमुख ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने के लिए की थी। यह भजन भक्त को भगवान से जोड़ने का एक सरल और प्रभावी साधन है।

3. वाराहपुराण में स्थान

वाराहपुराण, भगवान विष्णु के वाराह अवतार पर केंद्रित एक प्राचीन ग्रंथ है। इसमें "जनार्दन स्तोत्र" को धार्मिक अनुष्ठानों और भक्ति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

जनार्दन स्तोत्र का उद्देश्य

कष्टों का नाश

इसका पाठ करने से जीवन के कष्ट, दुःख और संकट समाप्त होते हैं।

धर्म और मोक्ष की प्राप्ति

भगवान विष्णु की कृपा से धर्म का पालन करने और मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

यह स्तोत्र मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

जनार्दन स्तोत्र का मुख्य श्लोक

वाराहपुराण में इस स्तोत्र के कई श्लोक दिए गए हैं। इनमें भगवान विष्णु के स्वरूप, उनके कार्यों और उनके नामों की महिमा वर्णित है। उदाहरण के लिए-

ॐ नमो जनार्दनाय, जगतां पालनाय च।

सर्वेश्वराय शुद्धाय, नित्याय निरुपाय ते॥

इस प्रकार के श्लोक भगवान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं।

पाठ करने का तरीका

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  • शांत मन से "जनार्दन स्तोत्र" का पाठ करें।
  • यदि पूरा स्तोत्र पाठ करना संभव न हो, तो इसका एक अंश भी पाठ किया जा सकता है।

जनार्दन स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच एक प्रेम का संवाद है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करता है और जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है।

जनार्दन स्तोत्र

नमोऽस्तु विष्णवे नित्यं नमस्ते पीतवाससे। 

नमस्ते चाद्यरूपाय नमस्ते जलरूपिणे ॥ 


नमस्ते सर्वसंस्थाय नमस्ते जलशायिने। 

नमस्ते क्षितिरूपाय नमस्ते तैजसात्मने॥ 


नमस्ते वायुरूपाय नमस्ते व्योमरूपिणे । 

त्वं देवः सर्वभूतानां प्रभुस्त्वमसि हृच्छयः ॥ 


त्वमोंकारो वषट्‌कारः सर्वत्रैव च संस्थितः। 

त्वमादिः सर्वदेवानां तव चादिर्न विद्यते ॥ 


त्वं भूस्त्वं च भुवः स्वस्त्वं जनस्त्वं च महः स्मृतः । 

त्वं तपस्त्वं च सत्यं च त्वयि देव चराचरम् ॥ 


त्वत्तो भूतमिदं सर्वं विश्वं त्वत्तो ऋऋगादयः। 

त्वत्तः शास्त्राणि जातानि त्वत्तो यज्ञाः प्रतिष्ठिताः ॥ 


त्वत्तो वृक्षा वीस्थध त्वतः सर्वा वनौषधिः। 

पशवः पक्षिणः सर्पास्त्वत्त एव जनार्दन ॥ 


ममापि देवदेवेश राजा दुर्जयसंज्ञितः । 

आगतोऽभ्यागतस्तस्य चातिथ्यं कर्तुमुत्सहे ॥ 


तस्य मे निर्धनस्याद्य देवदेव जगत्पते। 

भक्तिनम्रस्य देवेश कुरुष्वान्नादिसंचयम् ॥ 


यं यं स्पृशामि हस्तेन यं च पश्यामि चक्षुषा। 

काष्ठं वा तृणकन्दं वा तत्तदन्नं चतुर्विधम् ॥ 


तथा त्वन्यतमं वापि यद्धयातं मनसा मया। 

तत्सर्वं सिद्धयतां महां नमस्ते परमेश्वर ॥


 SHIVA MAHIMNA STOTRAM| शिव महिम्न: स्तोत्रम् । (सरल हिंदी )

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद, हर हर महादेव 

FAQs

1. जनार्दन स्तोत्र क्या है?

जनार्दन स्तोत्र एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो भगवान विष्णु के जनार्दन स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है। यह वाराहपुराण में वर्णित है और इसे महर्षि गौरमुख ने रचा है।

2. जनार्दन का अर्थ क्या है?

जनार्दन का अर्थ है -संसार के कष्टों का नाश करने वाले।यह भगवान विष्णु के एक विशेष नाम और स्वरूप को दर्शाता है।

3. जनार्दन स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

जनार्दन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-

जीवन के कष्ट और दुखों से मुक्ति।

आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव।

भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धर्म और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।

4. इस स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

इसे सुबह के समय स्नान करके स्वच्छ मन और शुद्ध वस्त्र पहनकर करना चाहिए।

भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पाठ करें।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करके स्तोत्र का पाठ शुरू करें।

5. क्या यह स्तोत्र केवल वाराहपुराण में ही मिलता है?

हां, जनार्दन स्तोत्र मुख्य रूप से वाराहपुराण में वर्णित है। यह पुराण भगवान विष्णु के वाराह अवतार और उनकी लीलाओं पर आधारित है।

6. क्या जनार्दन स्तोत्र सभी के लिए पढ़ना उपयुक्त है?

हां, यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए उपयुक्त है, चाहे वे किसी भी आयु या जाति के हों। इसे पढ़ने के लिए किसी विशेष दीक्षा की आवश्यकता नहीं है।

7. क्या जनार्दन स्तोत्र से जुड़ी कोई पौराणिक कथा है?

जनार्दन स्तोत्र से जुड़ी कथाओं में बताया गया है कि महर्षि गौरमुख ने भगवान विष्णु की तपस्या करके इस स्तोत्र की रचना की थी। इसे पढ़ने से वे भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त कर सके।

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8. क्या जनार्दन स्तोत्र का कोई विशेष श्लोक प्रसिद्ध है?

जनार्दन स्तोत्र के कई श्लोक प्रसिद्ध हैं, जिनमें से एक है-

ॐ नमो जनार्दनाय विश्वरूपाय ते नमः।

सर्वव्यापिनि विष्णवे, सर्वेशाय नमो नमः॥

9. क्या जनार्दन स्तोत्र को याद करना कठिन है?

यह स्तोत्र सरल भाषा में लिखा गया है। नियमित अभ्यास और श्रद्धा से इसे आसानी से याद किया जा सकता है।

10. क्या यह स्तोत्र केवल विष्णु भक्त ही पढ़ सकते हैं?

नहीं, भगवान विष्णु को मानने वाले किसी भी धर्म या समुदाय के व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। यह भक्त और भगवान के बीच का एक आध्यात्मिक संवाद है।

11. क्या जनार्दन स्तोत्र का पाठ किसी विशेष दिन किया जाता है?

जनार्दन स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से एकादशी, पूर्णिमा, और विष्णु से संबंधित त्योहारों पर इसका पाठ अधिक प्रभावी माना जाता है।

12. जनार्दन स्तोत्र का पाठ किसे नहीं करना चाहिए?

इस स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है। लेकिन अशुद्ध मन, क्रोध, या नकारात्मक भावना से इसका पाठ नहीं करना चाहिए।

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