श्री सरस्वती स्तुति | विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी की संपूर्ण स्तुति

हर हर महादेव! प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप लोग, हमें उम्मीद है आप अच्छे होंगे। आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी की संपूर्ण स्तुति ,श्री सरस्वती स्तुति के बारे में।

श्री सरस्वती स्तुति | विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी की संपूर्ण स्तुति


श्री सरस्वती स्तुति | विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी की संपूर्ण स्तुति
श्री सरस्वती स्तुति | विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी की संपूर्ण स्तुति


माँ सरस्वती की स्तुति के लिए कई उत्तम श्लोक हैं जो विद्या, बुद्धि, और ज्ञान की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। नीचे कुछ प्रमुख श्लोक दिए गए हैं-

प्रमुख श्लोक 

1. सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

अर्थ: जो कुंद पुष्प, चंद्रमा और हिम के समान श्वेत वर्ण वाली हैं, जो श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो वीणा और पुस्तक धारण किए हुए हैं, जो श्वेत कमल पर विराजमान हैं, तथा जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवता नित्य वंदन करते हैं, वे माँ सरस्वती हमारी जड़ता को नष्ट करें और हमें ज्ञान प्रदान करें।

2. विद्या की प्रार्थना

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥

अर्थ: हे वरदायिनी सरस्वती! आपको नमस्कार है। मैं विद्या का आरंभ कर रहा हूँ, कृपया मुझे सिद्धि प्रदान करें।

3. सरस्वती गायत्री मंत्र

ॐ वदवानी विद्महे, विराजिनी धीमहि।

तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

अर्थ: हम वाणी की देवी सरस्वती को जानते हैं, जो तेजस्विनी और प्रकाशमयी हैं, वे हमें ज्ञान की ओर प्रेरित करें।

4. ज्ञान प्राप्ति के लिए श्लोक

सरस्वत्यै च विद्महे ब्रह्मपुत्राय धीमहि।

तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

अर्थ: हम विद्या की देवी सरस्वती को जानते हैं और उनकी उपासना करते हैं, वे हमें सन्मार्ग पर प्रेरित करें।

5. सरस्वती अष्टक श्लोक (संक्षिप्त रूप)

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥

अर्थ: जो संसार को व्याप्त करने वाली, ब्रह्मविद्या का सार स्वरूप हैं, जो वीणा और पुस्तक धारण करती हैं, जो भय से मुक्त करती हैं और अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करती हैं, जो कमलासन पर विराजमान हैं, उन भगवती सरस्वती को मैं प्रणाम करता हूँ।

इन श्लोकों का नित्य प्रातःकाल या अध्ययन से पूर्व पाठ करने से विद्या, बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है तथा माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

कनकधारास्तोत्र हिंदी अर्थ सहित | कनकधारास्तोत्र की कथा 

माँ सरस्वती की स्तुति

॥ श्री सरस्वती स्तोत्रम् ॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥


सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥


पद्मासनस्थां श्वेतवर्णां शुभ्रवस्त्रान्वितां शुभ्रवर्णाम्।

वीणाधरां विद्याधात्रीं वन्दे तां सरस्वतीं शारदाम्॥


यस्यां हस्तो विधत्ते करकमलयुगे वीणया पुस्तकं च।

ज्ञानं मुद्रां कराग्रे विपुलतरकरं श्वेतपद्मं दधानाम्॥

वासो श्वेतं विचित्रं विविधमणिगणैः सुशोभं सितायाः।

सा मे वाणी सरस्वती भगवती शुभद्रा शारदा या॥


जय जय हे सरस्वति माता।

जग में जपो तुम सब विधाता॥

श्री गणेश संग करो निवासा।

ज्ञान और बुद्धि की तुम हो दाता॥


विद्या दात्री भगवतीं भारतीं विश्वपूजिताम्।

ज्ञानरूपां जगद्धात्रीं वन्दे तां शारदां शिवाम्॥

महालक्ष्म्यै च विद्महे सरस्वत्यै च धीमहि।

तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

स्तुति का फल (महत्व)

इस स्तुति का नित्यप्रति पाठ करने से –

विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।

स्मरण शक्ति तीव्र होती है।

मन में शुद्धता और सकारात्मकता बनी रहती है।

माँ सरस्वती की कृपा से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।

यह स्तुति विशेष रूप से विद्यार्थियों, लेखकों, वक्ताओं और संगीत प्रेमियों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

जो भी श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसे माँ सरस्वती का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।

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FAQs 

1. माँ सरस्वती की स्तुति का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

माँ सरस्वती की स्तुति के नित्य पाठ से विद्या, बुद्धि, स्मरण शक्ति और आत्मज्ञान की वृद्धि होती है। यह विद्यार्थियों, लेखकों, वक्ताओं और संगीत प्रेमियों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

2. माँ सरस्वती की स्तुति कब और कैसे करनी चाहिए?

प्रातःकाल स्नान के बाद शुद्ध मन से सफेद वस्त्र धारण कर, सफेद पुष्प अर्पित कर माँ सरस्वती की स्तुति करें। यदि संभव हो तो सरस्वती मंत्रों का जाप भी करें।

3. क्या सरस्वती स्तुति केवल विद्यार्थियों के लिए है?

नहीं, माँ सरस्वती केवल विद्यार्थियों की ही नहीं बल्कि सभी ज्ञान-प्रेमियों, कलाकारों, लेखकों, और वक्ताओं की देवी हैं। जो भी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति चाहता है, वह इस स्तुति का पाठ कर सकता है।

4. क्या माँ सरस्वती की स्तुति किसी विशेष दिन करनी चाहिए?

बसंत पंचमी (सरस्वती पूजन दिवस) के दिन यह स्तुति करना अत्यंत शुभ होता है, लेकिन इसे प्रतिदिन करने से अधिक लाभ मिलता है।

5. क्या माँ सरस्वती की कृपा से स्मरण शक्ति बढ़ सकती है?

हाँ, माँ सरस्वती ज्ञान और स्मरण शक्ति प्रदान करने वाली देवी हैं। उनकी कृपा से मन एकाग्र होता है और स्मरण शक्ति प्रबल होती है।

6. माँ सरस्वती की पूजा में कौन-से रंग शुभ माने जाते हैं?

माँ सरस्वती को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। उनकी पूजा में सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद प्रसाद अर्पित करना शुभ माना जाता है।

7. माँ सरस्वती के कौन-कौन से मंत्र सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं?

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला...

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि...

ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः...

8. क्या सरस्वती स्तुति का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम हैं?

मुख्यतः पवित्रता और श्रद्धा आवश्यक है। स्नान के बाद स्वच्छ मन से माँ सरस्वती का ध्यान करें और स्तुति का पाठ करें।

इस जानकारी को पढ़कर आप माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और विद्या, बुद्धि एवं ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

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